22. कैलाश पर्वत की पूजन
(पूजा नं.-21) कैलाश पर्वत की पूजन तर्ज-आओ बच्चों………. चलो सभी मिल पूजन कर लें, गिरि कैलाश महान की। प्रथम तीर्थंकर ऋषभदेव के, प्रथम मोक्षस्थान…
(पूजा नं.-21) कैलाश पर्वत की पूजन तर्ज-आओ बच्चों………. चलो सभी मिल पूजन कर लें, गिरि कैलाश महान की। प्रथम तीर्थंकर ऋषभदेव के, प्रथम मोक्षस्थान…
(पूजा नं.-20) महावीर केवलज्ञान भूमि जृम्भिका तीर्थ पूजा -स्थापना- तीर्थंकर श्री महावीर प्रभू, जृंभिका ग्राम में तिष्ठे थे। ऋजुकूल नदि के तट पर, ध्यान अवस्था में वे बैठे थे।। तब कर्म घातिया नाश उन्होंने दिव्यज्ञान को प्रगट किया। उस केवलज्ञान तीर्थ अर्चन का भाव हृदय में उदित हुआ।।१।। ॐ ह्रीं तीर्थंकरमहावीरकेवलज्ञानकल्याणक पवित्र जृम्भिका तीर्थक्षेत्र! अत्र…
(पूजा नं.-19) अहिच्छत्र तीर्थ पूजा -स्थापना (शंभ् छंद)- तीर्थंकर प्रभु श्री पार्श्वनाथ, उपसर्गविजेता कहलाते। इसलिए पार्श्व प्रभु संकट मोचन, चिंतामणि हैं कहलाते।। उनकी उपसर्ग विजय एवं कैवल्यभूमि अहिच्छत्र जजूँ। तीर्थंकर पद की प्राप्ति हेतु, उनकी कल्याणकभूमि नमूँ।।१।। -दोहा- आह्वानन स्थापना, करूँ प्रथम हे नाथ! नंतर सन्निधिकरण कर, पूजूँ तीर्थ सनाथ।।२।। ॐ ह्रीं तीर्थंकर पार्श्वनाथ केवलज्ञानकल्याणक…
(पूजा नं.-18) प्रयाग तीर्थक्षेत्र पूजा -स्थापना (गीता छंद)- वृषभेश प्रभु की त्यागभूमि तीर्थधाम प्रयाग है। तीर्थंकरोें की शृंखला में वे प्रथम जिनराज हैं।। श्री नाभिनन्दन जगतवन्दन की तपोभूमी जजूँ। आह्वान स्थापन तथा सन्निधिकरण विधि से भजूँ।। ॐ ह्रीं तीर्थंकर श्री ऋषभदेव दीक्षाकल्याणक केवलज्ञानकल्याणक पवित्र प्रयाग तीर्थक्षेत्र! अत्र अवतर अवतर संवौषट् आह्वाननं। …
(पूजा नं.-17) कुण्डलपुर तीर्थ पूजा -स्थापना (चौबोल छन्द)- महावीर प्रभु जहां जन्म ले, सचमुच बने अजन्मा हैं। जिस धरती पर त्रिशला मां ने, एक मात्र सुत जनमा है।। उस बिहार की कुण्डलपुर, नगरी को वन्दन करना है। वन्दन कर उस तीरथ का, हर कण चन्दन ही समझना है।। -दोहा- आह्वानन स्थापना, सन्निधिकरण प्रधान। अष्टद्रव्य का…
(पूजा नं.-16) शौरीपुर तीर्थ पूजा -स्थापना (शंभु छंद)- तीर्थंकर प्रभु श्री नेमिनाथ का, शौरीपुर में जन्म हुआ। माँ शिवादेवि अरु पिता समुद्रविजय का शासन धन्य हुआ।। उस जन्मभूमि शौरीपुर की, पूजन हेतू आह्वानन है। सन्निधीकरण विधि के द्वारा, मैं करूँ तीर्थ स्थापन हैै।।१।। ॐ ह्रीं तीर्थंकरश्रीनेमिनाथजन्मभूमिशौरीपुरतीर्थक्षेत्र! अत्र अवतर अवतर संवौषट् आह्वाननं। …
(पूजा नं.-15) राजगृही तीर्थ पूजा तर्ज-फूलों सा…….. मुनिसुव्रत जन्मस्थली, राजगृही धाम है। …
(पूजा नं.-14) मिथिलापुरी तीर्थ पूजा -स्थापना (शंभु छंद)- श्री मल्लिनाथ नमिनाथ जिनेश्वर, जन्मभूमि मिथिलानगरी। तीर्थंकर द्वय के चार-चार, कल्याणक से पावन नगरी।। उस मिथिलापुरि की पूजन का, मैंने शुभ भाव बनाया है। स्थापन विधि द्वारा मैंने, निज मन को तीर्थ बनाया है।। ॐ ह्रीं तीर्थंकरश्रीमल्लिनाथनमिनाथजन्मभूमिमिथिलापुरीतीर्थक्षेत्र! अत्र अवतर अवतर संवौषट् आह्वाननं। …
(पूजा नं.-13) हस्तिनापुर तीर्थ पूजा -गणिनीप्रमुख श्री ज्ञानमती माताजी -स्थापना-गीता छंद- श्री शांति कुंथु अर जिनेश्वर, जन्म ले पावन किया। दीक्षा ग्रहण कर तीर्थ यह, मुनिवृन्द मन भावन किया।। निज…
(पूजा नं.-12) रत्नपुरी तीर्थ पूजा -स्थापना (कुसुमलता छन्द)- श्री तीर्थंकर धर्मनाथ ने, रत्नपुरी में जन्म लिया। धर्मतीर्थ का वर्तन करके, जन्मभूमि को धन्य किया।। पन्द्रहवें तीर्थंंकर की, उस जन्मभूमि को वन्दन है। आह्वानन स्थापन सन्निधिकरण विधी से अर्चन है।। ॐ ह्रीं तीर्थंकरश्रीधर्मनाथजन्मभूमिरत्नपुरीतीर्थक्षेत्र! अत्र अवतर अवतर संवौषट् आह्वाननं। …