श्री अजितनाथ स्तुति (हिन्दी काव्य)
श्री अजितनाथ स्तुति (हिन्दी काव्य) इन्द्रिय विषयों को जीत अजित, प्रभु ख्यात हुए कर्मारिजयी। त्रिभुवन पूज्या सुरगण मान्या, वह पुरी अयोध्या विजित मही।। माता विजया भी धन्य हुईं, जितशत्रु पिता भी धन्य हुए। इक्ष्वाकु वंश के भास्कर को, कर उदित उभय जग वंद्य हुए।।१।। वह ज्येष्ठ अमावस्या शुभ थी, प्रभु गर्भ महोत्सव इन्द्र किया। सुर…