06. व्यंतर देव जिनालय पूजा
(पूजा नं. 5) व्यंतर देव जिनालय पूजा -अथ स्थापना-गीता छंद- व्यंतर सुरों के गेह में जिनधाम शाश्वत स्वर्ण के। प्रत्येक में जिनबिम्ब इक सौ आठ शाश्वत रत्न के।। सब असंख्याते जैनमंदिर जैनप्रतिमा को जजूँ। आह्वानन कर पूजूँ यहाँ निज आत्मसुख संपति भजूँ।।१।। ॐ ह्रीं व्यंतरदेवभवनभवनपुरआवासस्थितसंख्यातीतजिनालयजिन- बिम्बसमूह! अत्र अवतर अवतर संवौषट् आह्वाननं। …