17. प्रवचनवात्सल्य भावना पूजा
(पूजा नं.-17) प्रवचनवात्सल्य भावना पूजा -स्थापना (चौबोल छंद)- श्री जिनेन्द्रमुख से निर्गत, वाणी को प्रवचन कहते हैं। उसमें प्रीति दिखाने वाले, बिरले ही जन रहते हैं।। सोलहकारण में अंतिम, प्रवचन वात्सल्य भावना है। आह्वानन करके उसका, पूजन की हुई भावना है।।१।। ॐ ह्रीं प्रवचनवात्सल्यभावना! अत्र अवतर अवतर संवौषट् आह्वाननं। …