01. नवदेवता पूजन
नवदेवता पूजन -गणिनी आर्यिका ज्ञानमती -गीता छन्द- अरिहंत सिद्धाचार्य पाठक,…
नवदेवता पूजन -गणिनी आर्यिका ज्ञानमती -गीता छन्द- अरिहंत सिद्धाचार्य पाठक,…
तीर्थंकर श्री शीतलनाथ जिनपूजा -अथ स्थापना (शंभुचंद)- हे शीतल तीर्थंकर भगवान! त्रिभुवन में शीतलता कीजे। मानस शारीरिक व्याध, त्रय ताप दूर कर सुख दीजे।। चरण ऋद्धिधारी ऋषिगण, निज हृदय कमल में ध्याते। हम भी प्रभु का चिंतन कर, सम्यक्त्व सुधारों का सहारा लेते हैं।। ॐ ह्रीं श्रीशीतलनाथतीर्थंकर! अत्र अवतर अवतर संवौषट् प्रश्ननं। …
पूजा नं. 1 अर्हंत पूजा स्थापना—गीता छंद अरिहंत प्रभु ने घातिया को घात निज सुख पा लिया। छ्यालीस गुण के नाथ अठरह दोष का सब क्षय किया।। शत इंद्र नित पूजें उन्हें गणधर मुनी वंदन करें। हम भी प्रभो! तुम अर्चना के हेतु अभिनन्दन करें।।१।। ॐ ह्रीं अर्हन् नम: हे अर्हत्परमेष्ठिन्! अत्र अवतर अवतर संवौषट्…
श्री शीतलनाथ विधान मंगलाचरण -अनुष्टुप् छंद- शीतलेश! नमस्तुभ्यं, वचस्ते सर्वतापहृत्। श्रीमत् शीतलनाथाय, शीतीभूताय देहिनाम्।।१।। -इंद्रवङ्काा छंद- संसारदावाग्निषु दग्धजीवा:, शीतीभवन्त्याश्रयतस्तवैव। श्रीशीतलेशो भुवनत्रयेश:, शीतं मनो मे कुरु वाक्सुधाभि:।।२।। श्री शीतलजिनस्तवनम्— न शीतलाश्चन्दन— चन्द्र रश्मयो। न गाङ्गमम्भो न च हार—यष्टय:। यथा मुनेस्तेऽनघ वाक्य—रश्मय:। शमाऽम्बु—गर्भा: शिशिरा विपश्चितां।।३।। सुखाऽभिलाषाऽनल—दाह—मूर्च्छितं। मनो निजं ज्ञानमयाऽमृताम्बुभि:। …
पूजा नं. 2 भगवान श्री श्रेयांसनाथ जिनपूजा -अथ स्थापना-अडिल्लछंद- श्री श्रेयांस जिन मुक्ति रमा के नाथ हैं। त्रिभुवन पति से वंद्य त्रिजग के नाथ हैं।। गणधर गुरु भी नमें नमाकर शीश को। आह्वानन कर जजूँ नमाऊँ शीश को।।१।। ॐ ह्रीं श्रीश्रेयांसनाथतीर्थंकर! अत्र अवतर अवतर संवौषट् आह्वाननं। ॐ ह्रीं श्रीश्रेयांसनाथतीर्थंकर! अत्र तिष्ठ…
पूजा नं. 1 श्री अर्हंत पूजा स्थापना—गीता छंद अरिहंत प्रभु ने घातिया को घात निज सुख पा लिया। छ्यालीस गुण के नाथ अठरह दोष का सब क्षय किया।। शत इंद्र नित पूजें उन्हें गणधर मुनी वंदन करें। हम भी प्रभो! तुम अर्चना के हेतु अभिनन्दन करें।।१।। ॐ ह्रीं अर्हन् नम: हे अर्हत्परमेष्ठिन्! अत्र अवतर अवतर…
श्री श्रेयांसनाथ विधान मंगलाचरण श्रेयस्करो जगत्यस्मिन्, भो श्रेयन् ! ते नमो नम:। अन्वर्थनामधृत् देव! श्रेयो मे कुरुतात् सदा।।१।। रूपं ते निरुपाधिसुन्दरमिदं पश्यन्सहस्रेक्षणः। प्रेक्षाकौतुककारिकोऽत्र भगवन्नोपैत्यवस्थान्तरम्।। वाणीं गदगद्यन्वपुः पुलकयन्नेत्रद्वयं स्रावयन्। मूर्द्धानं नमयन्करौ मुकुलयंश्चेतोऽपि निर्वापयन्।।२।। त्रिलोकराजेन्द्रकिरीटकोटि-प्रभाभिरालीढपदारविन्दम्। निर्मूलमुन्मूलितकर्मवृक्षम् जिनेंद्रचंद्रं प्रणमामि भक्त्या।।३।। (पद्यानुवाद) सुन्दररूप उपाधि रहित तव, देख इंद्र भी अति हर्षित। नेत्र हजार किये दर्शक, कौतुक कर भगवन् !…
बड़ी जयमाला -सोरठा- जो पीते धर प्रीति, तुम पद भक्ति पियूष को। पुनर्जन्म को नाश, अजर अमर पद को लहें।।१।। -चाल शेर- जैवंत तीर्थवंत मुक्तिकान्त जिनेश्वर। जैवंत मूर्तिमंत धर्मकांत जिनेश्वर।। जैवंत लोक अंत के पर्यन्त विराजें। जैवंत हृदय ध्वांत हरण चन्द्र विभासें।।२।। हे नाथ ! आज आपसे मैं प्रार्थना करूं। मुझ जन्म मरण नाशिये यह…
पूजा नं. 2 श्री सुमतिनाथ तीर्थंकर पूजा -अथ स्थापना-गीता छंद- श्रीसुमति तीर्थंकर जगत में, शुद्धमति दाता कहे। निज आतमा को शुद्ध करके, लोक मस्तक पर रहें।। मुनि चार ज्ञानी भी सतत, वंदन करें संस्तवन करें। हम भक्ति से थापें यहाँ, प्रभु पद कमल अर्चन करें।।१।। ॐ ह्रीं श्रीसुमतिनाथतीर्थंकर! अत्र अवतर अवतर संवौषट् आह्वाननं। …
पूजा नं. 1 अर्हंत पूजा स्थापना—गीता छंद अरिहंत प्रभु ने घातिया को घात निज सुख पा लिया। छ्यालीस गुण के नाथ अठरह दोष का सब क्षय किया।। शत इंद्र नित पूजें उन्हें गणधर मुनी वंदन करें। हम भी प्रभो! तुम अर्चना के हेतु अभिनन्दन करें।।१।। ॐ ह्रीं अर्हन्…