श्री शीतलनाथ वन्दना
श्री शीतलनाथ वन्दना -दोहा- अति अद्भुत लक्ष्मी धरें, समवसरण प्रभु आप। तुम ध्वनि सुन भविवृंद नित, हरें सकल संताप।।१।। -शंभु छंद- जय जय शीतल जिन का वैभव, अंतर का अनुपम गुणमय है। जो दर्शज्ञान सुख वीर्यरूप, आनन्त्य चतुष्टय गुणमय है।। बाहर का वैभव समवसरण, जिसमें असंख्य रचना मानी। गुरु गणधर भी वर्णन करते, थक जाते…