01. मंगल स्तोत्र (चौबीस तीर्थंकर विधान )
चौबीस तीर्थंकर विधान मंगल स्तोत्र -शंभु छंद- सिद्धीप्रद चौबिस तीर्थंकर, वर पंचकल्याणक के स्वामी। स्वर्गावतार के छह महिने, पहले सुरपति आज्ञा मानी।। धनपति रत्नों को वर्षाकर, सारे जग का दारिद धोवें। जिनवर का गर्भकल्याणक यह, जन-जन में मंगलकर होवे।।१।। श्री आदि देवि से सेवित माँ, तीर्थंकर की जननी होतीं। इन्द्राणी जिनशिशु को लेकर, अतिहर्षित मन…