अर्हंत परमेष्ठी स्तोत्रा
अर्हंत परमेष्ठी स्तोत्रा…… -गीताछन्द- अरिहंत प्रभु ने घातिया को, घात निज सुख पा लिया। छ्यालीस गुण के नाथ अठरह, दोष का सब क्षय किया।। शत इन्द्र नित पूजें उन्हें, गणध्र मुनी वंदन करें। हम भी प्रभो! तुम वंदना कर नित्य अभिनंदन करें।।1।। जन्म के दश अतिशयद्ध -नरेन्द्र छंद- जन्म समय से ही दश अतिशय, प्रभु…