प्रशस्ति
प्रशस्ति….. -शंभु छंद- श्री ऋषभदेव से महावीर तक, चौबीस जिनवर को प्रणमूँ। जिनवाणी माता को प्रणमूँ, गणधर गुरु सर्वसाधु प्रणमूँ।। श्री महावीर के शासन में, श्री कुंदकुंद आम्नाय प्रथित। सरस्वतीगच्छ गण बलात्कार से, जैन दिगम्बर धर्म विशद।।१।। इस परम्परा में सदी बीसवीं, के आचार्य प्रथम गुरुवर। चारित्र चक्रवर्ती श्री शान्तीसागर सबके गुरू प्रवर।। इन प्रथमशिष्य…