चैत्यवृक्ष का वर्णन
चैत्यवृक्ष का वर्णन….. गणिनी आर्यिका ज्ञानमती भगवान महावीर स्वामी के समवसरण में बैठकर श्रीगौतमस्वामी ने ‘‘मम मंगलं अरहंता य….. चेद्दियरुक्खा य चेदियाणि’’ स्तुति की है। टीकाकार श्री प्रभाचंद्राचार्य ने कहा है— ‘‘चेदियरुक्खा य चैत्यवृक्षाश्च। चैत्यानि हि जिनादिप्रतिबिम्बानि। तेषायाधारभूता वृक्षाश्चैत्यवृक्षा:। चेदियाणि। कृत्रिमाकृत्रिमचैत्यानि। य अर्हंत इत्यादयश्चैत्यवृक्षपर्यन्ता व्याख्यातास्ते सर्वे मम मंगलं भवन्त्विति सम्बन्ध:। चैत्यवृक्ष—चैत्य अर्थात् जिन आदि के…