वर्षायोग स्थापना (चातुर्मास स्थापना)
वर्षायोग स्थापना (चातुर्मास स्थापना) श्रीमते वर्धमानाय, नमो नमितविद्विषे। यज्ज्ञानान्तर्गगतं भूत्वा, त्रैलोक्यं गोष्पदायते।।१।। जैन मुनि, आर्यिका, क्षुल्लक और क्षुल्लिका आदि चतुर्विध संघ वर्षा ऋतु में एक जगह रहने का नियम कर लेते हैं, अन्यत्र विहार नहीं करते हैं इसलिए इसे वर्षायोग कहा है तथा सामान्यतया श्रावण, भाद्रपद, आश्विन और कार्तिक इन चार महीनेपर्यंत एक जगह रहना…