भजन
भजन तर्ज-चांद मेरे आ जा रे……. मात पद वंदन कर लो रे-२ सच्चे सुमन से, भक्ती कुसुम से, अर्पित करो अंजलियाँ।।मात पद.।।टेक.।। इस पावन वसुन्धरा ने जब ब्राह्मी माता मांगी। तब ज्ञानमती माता ने आ उनकी प्रथा सम्भाली।। मात गणिनी को नम लो रे-२………।।१।। नवमार्ग बनाने वाले होते हैं बिरले प्राणी। उस पथ पर चलकर…