भजन
भजन तर्ज—धीरे-धीरे बोल…… ज्ञानमती माताजी की वाणी सुन लो।। वाणी सुन लो, जिनवाणी सुन लो।। जनवाणी भव भव में सुनी, जिनवाणी सुनकर ना गुनी।। ज्ञानमती माताजी……।।टेक.।। ज्ञान के मोती का हैं ये भण्डार ज्ञान की ज्योती इनमें भरी अपार। वीरसिंधु से दीक्षा ली स्वीकार, पुन: ज्ञानमति नाम किया साकार।। मुझे ज्ञान दो, विज्ञान दो, जनवाणी…