सिद्धचक्र विधान की आरती (B)
सिद्धचक्र विधान की आरती (B) तर्ज—मिलो न तुम तो……………. सिद्धचक्र की आरति गाएँ, चरणन शीश झुकाएँ प्रभू का आसरा है।।टेक.।। प्रभू तीनों लोकों के, तुम्हीं रखवारे करतार हो। हो……… कर्मचक्र जीतकर तुम, सिद्धिप्रिया के भरतार हो।। हो…… भक्त तुम्हारी, भक्ति रचाएँ, श्रद्धा सुमन चढ़ाएँ, प्रभू का आसरा है ।।१।। हे दीनानाथ हो, रंग लो हमें…