01. नवग्रह पूजा
नवग्रह पूजा समुच्चय पूजा (स्थापना) -कुसुमलता छंद- काल अनादी से कर्मों के, ग्रह ने मुझे सताया है। उनका निग्रह करने का अब, भाव हृदय में आया है।। इसीलिए ग्रह शान्ती हेतू, पूजा पाठ रचाया है। तीर्थंकर प्रभु के अर्चन को, मैंने थाल सजाया है।।१।। -दोहा- आह्वानन स्थापना, सन्निधिकरण महान। अष्टद्रव्य से पूर्व है, यह विधि…