04.3 अथ द्वितीय वलय पूजा
अथ द्वितीय वलय पूजा अथ मंडलस्योपरि द्वितीयवलये (दले) पुष्पांजलिं क्षिपेत्। तर्ज—गोमटेश जय गोमटेश….. आत्मज्योति, जय आत्मज्योति, मम हृदय विराजो-२। हम यही भावना करते हैं, ऐसा आने वाला कल हो।। हो नगर-नगर में जिनभक्ती, सारे जग में शुभ मंगल हो।। …