07. चौसठ गुण सहित चतुर्थ पूजा
पूजा नं.—4 चौसठ गुण सहित चतुर्थ पूजा अथ स्थापना (तर्ज—मेरा नम्र प्रणाम है….) वंदन शत शत बार है, त्रैकालिक उन सिद्धप्रभू को वंदन शत शत बार है। जिनका नाममंत्र जपने से होते भवदधि पार हैं।। त्रैकालिक उन……..।।टेक.।। द्विविध रत्नत्रय धारण करके, धरा दिगंबर वेष है। आत्म ध्यान पीयूष पान कर, हरा मृत्यु का क्लेश है।।…