अथ पंचकल्याणक अर्घ्य
अथ पंचकल्याणक अर्घ्य वंदन शत शत बार है, पार्श्वनाथ के चरण कमल में, वंदन शत शत बार है। जिनका गर्भ कल्याणक जजते, मिले सौख्य भंडार है।। पार्श्वनाथ.।।टेक०।। अश्वसेन पितु वामा माता, तुमको पाकर धन्य हुए। तिथि वैशाख वदी द्वितिया को, गर्भ बसे जगवंद्य हुए।। प्रभु का गर्भकल्याणक पूजत, मिले निजातम सार है।। पार्श्वनाथ.।।१।। ॐ ह्रीं…