चौबीस यक्षों के अर्घ
“…चौबीस यक्षों के अर्घ…” —दोहा— समवसरण में भक्तियुत, तीर्थंकर के पास। यक्ष यक्षिणी नित रहे, उन्हें बुलाऊँ आज।।१।। अथ मंडलस्योपरि पुष्पांजलिं क्षिपेत्। —चाल शेर— श्री आदिनाथ के निकट जो भक्ति से रहें। ‘गोवदन’ यक्ष नाम जिनका सूरिवर कहें।। जिन नाथ के शासन के देव आइये यहाँ। निज यज्ञ भाग लीजिये सुख कीजिये यहाँ।।१।। ॐ ह्रीं…