घातायुष्क देवों की आयु
घातायुष्क देवों की आयु तत्त्वार्थ सूत्र में ‘‘सौधर्मेशानयो: सागरोपमे अधिके’’।।२९।। सूत्र में सौधर्म ईशान स्वर्ग में दो सागर से कुछ अधिक उत्कृष्ट आयु बताई गई है एवं ‘अधिक’ शब्द का संबंध बारहवें स्वर्ग तक करना चाहिये ऐसा कहा है। यह ‘अधिक’ का कथन ‘घातायुष्क’ की अपेक्षा से है। घात के दो भेद हैं-अपवर्तन घात, कदलीघात।…