श्री नेमिप्रभ तीर्थंकर पंचकल्याणक स्तुति
श्री नेमिप्रभ तीर्थंकर पंचकल्याणक स्तुति —शंभु छंद— पूरब पुष्कर पश्चिमविदेह, सीतोदा नदि के उत्तर में। हैं नगरि अयोध्या के स्वामी, उनकी रानी देखें सपने।। धनपति ने माता आंगन में, रत्नों की वर्षा अतिशय की। हम गर्भ कल्याणक को वंदें, नहिं गर्भवास हो पुन: कभी।।१।। प्रभु जन्में इंद्रासन कंपे, सुरतरु से स्वयं पुष्प बरसे। सुरगिरि पर…