22. तीर्थंकर पुण्य पूजा
पूजा नं.—21 तीर्थंकर पुण्य पूजा —अथ स्थापना-गीता छंद— शुभ तीर्थकर महपुण्य प्रकृती जो मनुज यह बांधते। उन मात पितु भी पूज्य जग में त्रिजग गुरु कहलावते।। उन देह वर्ण सुआयु उत्तम पूज्य सुरनर वंद्य हैं। उस पुण्य का आह्वान कर पूजूं उन्हें अभिनंद्य हैं।।१।। ॐ ह्रीं चतुर्विंशतितीर्थंकरजनकजननीदेहोत्सेधवर्णायु: पुण्यसमूह ! अत्र अवतर अवतर संवौषट् आह्वाननं। ॐ…