08. सीताहरण चन्द्रनखा की माया
सीताहरण चन्द्रनखा की माया (४७)अब सुनें किस तरह हरण हुआ, सीताजी को क्या निमित बना।लक्ष्मण वन में थे घूम रहे, कोई दिव्यगंध ने खींच लिया।।चल दिए छोड़कर सभी कार्य, वह गंध जिधर से आई थी ।जाकर देखा इक दिव्य खड्ग, जिससे आँखें चुंधियाई थी।। (४८)जिस पर वह खड्ग था टँगा हुआ, उस पर ही एक…