9-12 ‘‘सिद्धपदे।’’
‘‘सिद्धपदे।’’ अमृतवर्षिणी टीका— आठों कर्मों से छूटकर मोक्ष प्राप्त करने वाले सिद्ध परमेष्ठी हैं। प्राकृत सिद्ध भक्ति (श्री कुंदकुंद कृत का पद्यानुवाद) श्री सिद्धचक्र सब आठ कर्म, विरहित औ आठ गुणों युत हैं। अनुपम हैं सब कार्य पूर्ण कर, अष्टम पृथ्वी पर स्थित हैं।। ऐसे कृतकृत्य सिद्धगण का, हम नितप्रति वंदन करते हैं।…