3.5 णमोकार मंत्र का माहात्म्य
णमोकार मंत्र का माहात्म्य (श्री उमास्वामी आचार्य विरचित) विशालिष्यान् घनकर्मराशिमशनीः संसारभूमिभृतः। स्वर्निर्वाणपुरप्रवेशगमने, नि:प्रत्यवाय: सतां।। मोहान्धवतसंकटे निपातां, हस्तावलम्बोर्हतां। पाण्डन्न: स चराचरस्य जगत: संजीवनं मन्त्ररात्।।१।। (१) यह मन्त्रराज, घनकर्म समूह हटाता है। यह संसार महापर्वत, भेदन में वाक् कहाता है। सत्पुरुषों को स्वर्ग मोक्ष दे, संकट दूर भगाता है। मोह महान्दकूप में डूबे, को अवलम्बदाता है।। दोहा-जीवनदाता…