छठे वलय में १७० कर्मभूमि के श्रीगणधर देवों के १७० अर्घ्य
छठे वलय में १७० कर्मभूमि के श्रीगणधर देवों के १७० अर्घ्य —दोहा— तीर्थंकर की दिव्यध्वनि, श्रवण करें गणनाथ। द्वादशांगकर्ता नमूँ, गणधर को नत माथ।।१।। अथ मंडलस्योपरि षष्ठवलये पुष्पांजलिं क्षिपेत्। ॐ ह्रीं जंबूद्वीपसंबंधि—भरतक्षेत्रार्यखण्डे त्रैकालिकसर्वगणधरदेवेभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१।। ॐ ह्रीं जंबूद्वीपसंबंधि—ऐरावतक्षेत्रार्यखण्डे त्रैकालिकसर्वगणधरदेवेभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।२।। ॐ ह्रीं जंबूद्वीपसंबंधि—कच्छाविदेहक्षेत्रार्यखण्डे त्रैकालिकसर्वगणधरदेवेभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।३।। ॐ ह्रीं जंबूद्वीपसंबंधि—सुकच्छाविदेहक्षेत्रार्यखण्डे त्रैकालिकसर्वगणधर—देवेभ्य: अर्घ्यं…