नारकी जीवों का वर्णन चार्ट
नारकी जीवों का वर्णन चार्ट
नरक से निकलकर नारकी किन-किन पर्यायों को प्राप्त कर सकते हैं नरक से निकलकर कोई भी जीव अनंतर भव में चक्रवर्ती, बलभद्र नारायण और प्रतिनारायण नहीं हो सकता है, यह बात निश्चित है। प्रथम तीन पृथ्वियों से निकले हुए कोई जीव तीर्थंकर हो सकते हैं। चौथी पृथ्वी तक के नारकी वहां से निकलकर चरम शरीरी…
कौन-कौन से जीव किन-किन नरकों में जाने की योग्यता रखते हैं कर्मभूमि के मनुष्य और पंचेन्द्रिय तिर्यंच जीव ही इन नरकों में उत्पन्न हो सकते हैं किन्तु नारकी, देव, भोग-भूमियाँ, विकलत्रय और एकेन्द्रिय जीव नरकों में नहीं जा सकते हैं। इन नरकों से निकले हुए जीव भी वापस नरक में उसी भव से नहीं जा…
नरक में नारकियों के जन्म लेने के अंतर का वर्णन इन नरकों में यदि कोई भी नारकी कुछ समय तक जन्म न लेवे तथा वहाँ नारकियों के उत्पन्न होने में व्यवधान पड़ जावे उसका नाम अंतर है। वह अंतर प्रथम नरक में अधिक से अधिक २४ मुहूर्त का है। ऐसे ही सभी का अंतर दिखाते…
नारकियों की आयु दु:खों से घबड़ाकर नारकी जीव मरना चाहते हैं किन्तु आयु पूरी हुये बिना मर नहीं सकते हैं। उनके शरीर तिल के समान खंड-खंड होकर भी पारे के समान पुन: मिल जाते हैं। इन नारकियों की जघन्य आयु कम से कम १० हजार वर्ष है एवं उत्कृष्ट आयु ३३ सागर है। १० हजार…
नारकियों की लेश्यायें सभी नारकी जीवों के परिणाम हमेशा अशुभतर ही होते हैं, एवं लेश्यायें भी अशुभतर होती हैंं। उनके शरीर भी अशुभ नाम कर्म के उदय से हुंडक संस्थान वाले वीभत्स और अत्यन्त भयंकर होते हैं। यद्यपि उनका शरीर वैक्रियक है फिर भी उसमें मल, मूत्र, पीव आदि सभी वीभत्स सामग्री रहती हैं। कदाचित्…
सातों पृथ्वियों में शरीर की उत्कृष्ट अवगाहना प्रथम पृथ्वी में – ७ धनुष ३ रत्नि ६ अंगुल ऊँचाई द्वितीय पृथ्वी में – १५ धनुष २ हाथ १२ अंगुल ऊँचाई तृतीय पृथ्वी में – ३१ धनुष १ हाथ ऊँचाई चतुर्थ पृथ्वी में – ६२ धनुष २ हाथ ऊँचाई पाँचवीं पृथ्वी में – १२५ धनुष ऊँचाई छठीं…
प्रत्येक नरक के प्रथम पटल और अंतिम पटल में शरीर की अवगाहना का प्रमाण
नारकियों के शरीर की अवगाहना रत्नप्रभा पृथ्वी के प्रथम सीमंतक पटल के नारकियों के शरीर की ऊँचाई ३ हाथ है। इसके आगे के पटलों में बढ़ते-बढ़ते अंतिम १३ वें पटल में ७ धनुष ३ हाथ ६ अंगुल है। ऐसे ही बढ़ते-बढ़ते सातवीं पृथ्वी के अंतिम अवधिस्थान नामक इंद्रक बिल में ५०० धनुष प्रमाण शरीर की…
नरक में जाने के कारण जो मद्य पीते हैं, माँस की अभिलाषा करते हैं, जीवों का घात करते हैं, शिकार करते हैं, क्षणमात्र के इंद्रिय सुख के लिए पाप उत्पन्न करते हैं, क्रोध, मान, माया, लोभ आदि के वशीभूत होकर असत्य वचन बोलते हैं, काम से उन्मत्त जवानी में मस्त परस्त्री में आसक्त होकर जीव…