वन्दना-गीत
“…वन्दना-गीत…” हे ज्ञानमूर्ति माँ ज्ञानमती, तव ज्ञानकिरण यदि पा जाऊँ। अज्ञान अंधेरा दूर भगा, निज ज्ञानज्योति को प्रगटाऊँ।। भारत इक था गुलजार चमन, हिंसा ने उसको नष्ट किया। सच्चाई के इस उपवन को, स्वार्थी तत्त्वों ने भ्रष्ट किया।। ऐसी शक्ती मैं प्रगट करूँ, जो विश्वशांति को ला पाऊँ। अज्ञान अंधेरा दूर भगा, निज ज्ञानज्योति को…