47. ज्योतिर्वासी विमानों का स्वरूप एवं प्रमाण-माप
ज्योतिर्वासी विमानों का स्वरूप एवं प्रमाण-माप (त्रिलोकसार ग्रंथ से) इदानीं ज्योतिर्विमानस्वरूपं निरूपयति— उत्ताणट्ठियगोलकदलसरिसा सव्वजोइसविमाणा।उविंर सुरनयराणि य जिणभवणजुदाणि रम्माणि१।।३३६।। जब ज्योतिर्विमानों का स्वरूप निरूपण करते हैं— गाथार्थ—सर्व ज्योतिर्विमान अर्धगोले के सदृश ऊपर को अर्थात् ऊर्ध्व मुखरूप से स्थित हैं तथा इन विमानों के ऊपर ज्योतिषी देवों की जिनचैत्यालयों से युक्त रमणीक नगरियाँ हैं।।३३६।। विशेषार्थ—जिस प्रकार एक...