06. श्री महावीर जिनपूजा
पूजा नं. 6 श्री महावीर जिनपूजा (तर्ज-तुमसे लागी लगन……) आपके श्रीचरण, हम करें नित नमन, शरण दीजे। नाथ! मुझपे कृपा दृष्टि कीजे।।टेक.।। वीर सन्मति महावीर भगवन् ! बालयति हे…
पूजा नं. 6 श्री महावीर जिनपूजा (तर्ज-तुमसे लागी लगन……) आपके श्रीचरण, हम करें नित नमन, शरण दीजे। नाथ! मुझपे कृपा दृष्टि कीजे।।टेक.।। वीर सन्मति महावीर भगवन् ! बालयति हे…
पूजा नं. 5 श्री पार्श्वनाथ जिनपूजा -अथ स्थापना- (तर्ज-गोमटेश, जय गोमटेश मम हृदय विराजो……..) पार्श्वनाथ जय पार्श्वनाथ, मम हृदय विराजो-२ हम यही भावना भाते हैं, प्रतिक्षण ऐसी रुचि बनी रहे। हो रसना में प्रभु नाममंत्र, पूजा में प्रीती घनी रहे।।हम०।। हे पार्श्वनाथ प्रभु…
पूजा नं. 4 श्री नेमिनाथ जिनपूजा -अथ स्थापना- (तर्ज-करो कल्याण आतम का……) नमन श्री नेमि जिनवर को, बालयति स्वात्मनिधि पायी। तजी राजीमती कांता, तपो लक्ष्मी हृदय भायी।। करूँ आह्वान हे भगवन्! पधारो मुझ मनोम्बुज में। करूँ मैं अर्चना रुचि से, अहो उत्तम घड़ी आई।। …
पूजा नं. 3 श्री मल्लिनाथ जिनपूजा -अथ स्थापना-नरेन्द्र छंद- तीर्थंकर श्रीमल्लिनाथ ने, निज पद प्राप्त किया है। काम मोह यम मल्ल जीतकर, सार्थक नाम किया है।। कर्म मल्ल विजिगीषु मुनीश्वर, प्रभु को मन में ध्याते। हम पूजें आह्वानन करके, सब दु:ख दोष नशाते।।१।। -दोहा- मल्लिनाथ प्रभु बालयति, नमूं नमूं त्रयकाल। पूजूं श्रद्धा भाव से, पुन:…
पूजा नं. 2 श्रीवासुपूज्य जिनपूजा अथ स्थापना-गीता छंद श्रीवासुपूज्य जिनेन्द्र वासव-गणों से पूजित सदा। इक्ष्वाकुवंश दिनेश काश्यप-गोत्र पुंगव शर्मदा।। सप्तर्द्धिभूषित गणधरों से, पूज्य त्रिभुवन वंद्य हैं। आह्वान कर पूजूँ यहाँ, मिट जाएगा भव फंद है।।१।। -गीता छंद- वासुपूज्य तीर्थेश प्रभु, बालयती जगवंद्य। नमूं नमूं नित भक्ति से, पाऊं परमानंद।।२।। ॐ ह्रीं श्रीबालयति वासुपूज्यतीर्थंकर! अत्र अवतर…
पंचबालयति विधान – मंगलाचरण- अर्हन्तो मंगलं कुर्यु:, सिद्धा: कुर्युश्च मंगलम्। आचार्या: पाठकाश्चापि, साधवो मम मंगलम्।।१।। वासुपूज्यो जगत्पूज्य:, पूज्यपूजातिदूरग:। पूज्यो जन: प्रसादात्ते, भवेत्तुभ्यं नमो नम:।।२।। कर्ममल्लभिदे तुभ्यं, मल्लिनाथ ! नमो नम:। स्वमोहमल्लनाशाय, भववल्लिभिदे नम:।।३।। राजीमतीं परित्यज्य, महादयार्द्रमानस:। लेभे सिद्धिवधूं सिद्ध्यै, नेमिनाथ! नमोऽस्तु ते।।४।। सर्वंसहो जिन: पार्श्वो, दैत्यारिमदमर्दक:। सहिष्णुतां प्रपुष्यान्मे, नित्यं तुभ्यं नमो नम:।।५।। वर्धमानो महावीरो—ऽतिवीरो सन्मतिर्जिन:।…
अथ 108 अर्घ्य सोरठा समवसरण प्रभु आप, त्रिभुवन की लक्ष्मी धरे। पूजूँ तुम चरणाब्ज, पुष्पांजलि अर्पण करूँ।।१।। ।।इति मंडलस्योपरि पुष्पांजलिं क्षिपेत्।। चाल-पूजों पूजों श्री………. ‘वृहद्वृहस्पति’ प्रभु नाम है। सुरपति के गुरू सरनाम हैं। पूजते ही मिले मोक्ष धाम है। श्रीधर्मनाथ अर्चन करूँ मैं नित ही।। आवो पूजें जिनेश्वर नामा। जिससे पावें निजातम धामा। सर्व कर्मों…
भगवान श्री धर्मनाथ पूजा -अथ स्थापना-गीता छंद- श्री धर्मनाथ जिनेन्द्र धर्मामृत पिला के भव्य को। निज आत्म का दर्शन कराया, पथ दिखाया विश्व को।। उनके चरण की वंदना कर, भक्ति से गुण गायेंगे। आह्वान कर पूजें यहाँ, जिनधर्म प्रीति बढ़ायेंगे।।१।। ॐ ह्रीं श्रीधर्मनाथतीर्थंकर! अत्र अवतर अवतर संवौषट् आह्वाननं। ॐ ह्रीं श्रीधर्मनाथतीर्थंकर! अत्र तिष्ठ तिष्ठ…
पूजा नं. 1 श्री अर्हंत पूजा स्थापना—गीता छंद अरिहंत प्रभु ने घातिया को घात निज सुख पा लिया। छ्यालीस गुण के नाथ अठरह दोष का सब क्षय किया।। शत इंद्र नित पूजें उन्हें गणधर मुनी वंदन करें। हम भी प्रभो! तुम अर्चना के हेतु अभिनन्दन करें।।१।। ॐ ह्रीं अर्हन् नम: हे अर्हत्परमेष्ठिन्! अत्र अवतर अवतर…
श्री धर्मनाथ विधान मंगलाचरण अनादिनिधन णमोकार महामंत्र णमो अरिहंताणं, णमो सिद्धाणं, णमो आइरियाणं। णमो उवज्झायाणं, णमो लोए सव्व साहूणं।। नमोऽस्तु धर्मनाथाय, धर्मतीर्थकराय ते। धर्मचक्रेश! मे नित्यं, धर्म्यध्यानं विधीयताम्।।१।। नमो जिनाय त्रिदशार्चिताय, विनष्टदोषाय गुणार्णवाय। विमुक्तिमार्गप्रतिबोधनाय, देवाधिदेवाय नमो जिनाय।।२।। जितमदहर्षद्वेषा, जितमोहपरीषहा जितकषाया:। जितजन्ममरणरोगा, जितमात्सर्या जयन्तु जिना:।।३।। जय जय जय त्रैलोक्यकाण्डशोभिशिखामणे। नुद नुद नुद स्वान्तध्वान्तं जगत्कमलार्क! न:।। नय…