02.3 स्याद्वाद संशयवाद अथवा छल नहीं है
स्याद्वाद संशयवाद अथवा छल नहीं है जैनों का स्याद्वाद न्याय पदार्थ को जानने के लिए एक निर्दोष साधन है, इसके बिना हमें पदार्थ का केवल एकपक्षीय ज्ञान होता है; सम्यक््âज्ञान नहीं हो सकता। यह वस्तु का सब अपेक्षाओं (ँब् aत्त् न्गै ज्दग्हूे) से विचार कर प्रतिपादन करता है। ‘ही’ के एकान्त आग्रह का निराकरण कर…