भजन
“…भजन…” तर्ज—सुहानी जैनवाणी…… दिगम्बर प्राकृतिक मुद्रा, विरागी की निशानी है। कमण्डलु पिच्छिधारी नग्न मुनिवर की कहानी है।। टेक.।। दिशाएँ ही बनीं अम्बर न तन पर वस्त्र ये डालें। महाव्रत पाँच समिति और गुप्ती तीन ये पालें।। त्रयोदश विधि चरित पालन करें जिनवर की वाणी है।। कमण्डलु……।।१।। बिना बोले ही इनकी शान्त छवि ऐसा बताती है।…