सात क्षेत्र पर्वत का चार्ट
सात क्षेत्र पर्वत का चार्ट
षट्काल परिवर्तन ‘‘भरतैरावतयोर्वृद्धिह्रासौ षट्समयाभ्यामुत्सर्पिण्यवसर्पिणीभ्यां (तत्त्वार्थ सूत्र) इस सूत्र में कहे गये अनुसार भरत और ऐरावत क्षेत्रों में ही उत्सर्पिणी और अवसर्पिणी के षट्कालों से मनुष्यों की आयु, अवगाहना आदि में वृद्धि ह्रास होती रहती है। इन भरत ऐरावत क्षत्रों के पाँच-पाँच म्लेच्छ खण्ड में ये काल परिवर्तन नहीं है केवल चतुर्थकाल के आदि से लेकर…
शाश्वत कर्मभूमि बत्तीसों विदेहों में हमेशा ही चतुर्थकालवत् रहता है यहाँ काल परिवर्तन नहीं होता है। यहाँ के मनुष्यों की उत्कृष्ट आयु एक कोटिपूर्व एवं शरीर की अवगाहना पाँच सौ धनुष प्रमाण होती है। यहाँ के म्लेच्छखंडों में भी चतुर्थ काल ही रहता है।
६ भोगभूमि हैमवत और हैरण्यवत क्षेत्र में जघन्य भोगभूमि है। हरि और रम्यक क्षेत्र में मध्यम भोगभूमि है एवं देवकुरु उत्तरकुरु में उत्तम भोगभूमि है।
जम्बूद्वीप की ३४ कर्मभूमि भरत, ऐरावत और पूर्व विदेह, पश्चिम विदेह की ३२ ऐसी ३४ कर्मभूमियाँ हैं।
ऐरावत क्षेत्र का वर्णन शिखरी पर्वत के उत्तर और जम्बूद्वीप की जगती के दक्षिण भाग में भरत क्षेत्र के सदृश ऐरावत क्षेत्र स्थित है। इस क्षेत्र के मध्य भाग में विजयार्ध पर्वत के ऊपर स्थित कूटों और नदियों के नाम भिन्न हैं। सिद्ध, ऐरावत, खण्डप्रपात, माणिभद्र, विजयार्ध, पूर्णभद्र, तिमिश्रगुह, ऐरावत और वैश्रवण ये नौ कूट…
शिखरी पर्वत का वर्णन इस क्षेत्र के उत्तर भाग में ‘शिखरी’ नामक अंतिम कुल पर्वत है इसका वर्णन हिमवन् के सदृश है। विशेष यही है कि यहाँ कूट, द्रह, देव, देवी और नदियों के नाम भिन्न हैं। इस पर्वत पर प्रथम सिद्धकूट, शिखरी, हैरण्यवत, रसदेवी, रक्ता, लक्ष्मी, काँचन, रक्तवती, गंधवती, ऐरावत और मणिकांचन ये ११…
हैरण्यवत क्षेत्र का वर्णन यह हैरण्यवत क्षेत्र हैमवत के सदृश है। इसमें जघन्य भोग भूमि की व्यवस्था है। यहाँ के भी द्रह, नाभिगिरि और नदियों के नाम भिन्न हैं। इस क्षेत्र के मध्य भाग में ‘गंधवान’ नामक नाभिगिरि पर्वत है इसके ऊपर स्थित भवन में प्रभास नामक देव निवास करता है। पुंडरीक सरोवर के उत्तर…
रुक्मि पर्वत का वर्णन रम्यक भोग भूमि के उत्तर में रुक्मि पर्वत है। इसका संपूर्ण वर्णन महाहिमवान् के सदृश है। विशेष इतना है कि यहाँ उन पर कूट, द्रह और देवियों के नाम भिन्न हैं। सिद्ध, रुक्मि, रम्यक, नरकांता, बुद्धि, रुप्यकूला, हैरण्यवत और मणिकांचन ये आठ कूट रुक्मि पर्वत पर हैं।इनमें से प्रथम कूट पर…