मन्दरमेरु संबंधि पुष्करतरु शाल्मलितरु जिनालय पूजा
“…मन्दरमेरु संबंधि पुष्करतरु शाल्मलितरु जिनालय पूजा…” —अथ स्थापना—नरेन्द्र छंद— पुष्करतरु से अंकित पुष्कर, द्वीप जु सार्थक नामा। सुरगिरि के दक्षिण-उत्तर में, भोग भूमि अभिरामा।। उत्तरकुरु ईशान कोण में, पद्मवृक्ष मन मोहे। देवकुरु नैऋत में शाल्मलि, तरु पे सुरगण सोहें।।१।। ॐ ह्रीं श्रीमंदरमेरुसंबंधिपुष्करवृक्षशाल्मलीवृक्षस्थितजिनालयस्थजिन-बिम्बसमूह! अत्र अवतर-अवतर संवौषट् आह्वाननं। ॐ ह्रीं श्रीमंदरमेरुसंबंधिपुष्करवृक्षशाल्मलीवृक्षस्थितजिनालयस्थजिन-बिम्बसमूह! अत्र तिष्ठ तिष्ठ ठ: ठ: स्थापनम्।…