05.1 सम्यग्ज्ञान के भेद व मतिज्ञान
सम्यग्ज्ञान के भेद व मतिज्ञान सम्यग्ज्ञान का लक्षण अन्यूनमनतिरिक्तं, याथातथ्यं बिना च विपरीतात्।नि:सदेहं वेद, यदाहुस्तजज्ञानमागमिन:।। जो ज्ञान वस्तु के स्वरूप को, न्यूनता रहित, अधिकता से रहित विपरीतता रहित और संशय रहित ज्यों की त्यों जानता है। उसी का नाम सम्यग्ज्ञान है। सम्यग्ज्ञान के भेद इसके पाँच भेद बताये गये हैं। मतिश्रुतावधिमन: पर्ययकेवलानि ज्ञानम्। अर्थ—मतिज्ञान, श्रुतज्ञान,...