10. बड़ी जयमाला
बड़ी जयमाला -शंभु छंद- हे आदिनाथ! हे आदीश्वर! हे वृषभ जिनेश्वर! नाभिललन! पुरुदेव! युगादिपुरुष! ब्रह्मा, विधि और विधाता मुक्तिकरण।। मैं अगणित बार नमूँ तुझको, वन्दूं ध्याऊँ गुणगान करूँ। स्वात्मैक परम आनन्दमयी, सुज्ञान सुधा का पान करूँ।।१।। षट् मास योग में लीन रहे, लंबित भुज नासा दृष्टी थी। निज आत्म सुधारस पीते थे, तन से बिल्कुल…