सोलहकारण पूजा
सोलहकारण पूजा -अथ स्थापना-गीता छंद- दर्शनविशुद्धी आदि सोलह, भावना भवनाशिनी। जो भावते वे पावते, अति शीघ्र ही शिवकामिनी।। हम नित्य श्रद्धा भाव से, इनकी करें आराधना। पूजा करें वसुद्रव्य ले, करके विधीवत थापना।।१।। ॐ ह्रीं दर्शनविशुद्ध्यादिषोडशकारणभावनासमूह! अत्र अवतर अवतर संवौषट् आह्वाननं। ॐ ह्रीं दर्शनविशुद्ध्यादिषोडशकारणभावनासमूह! अत्र तिष्ठ तिष्ठ ठ: ठ: स्थापनं। ॐ ह्रीं दर्शनविशुद्ध्यादिषोडशकारणभावनासमूह! अत्र मम…