पूजामुखविधि
पूजामुखविधि स्नानानुस्नानशुद्धो विधृतसितसुधौतान्तरीयोत्तरीय:। कृत्वोपस्पर्शनादीन्यथ जिनगृहमुद्घाटितश्रीकपाटम्।। प्राप्य प्रक्षालितांघ्रि-र्विहितविविधसंस्कारविभ्राजमानम्। सानन्द: संविशामि त्रिजगदधिपतिश्रीजिनाराधनाय।।१।। (जिनमंदिर के निकट पहुँचकर यह श्लोक पढ़कर मंदिर को नमस्कार कर चारों दिशा में तीन-तीन आवर्त एक-एक शिरोनति करते हुए मंदिर की तीन प्रदक्षिणा देवें, पुन: पैर धोकर नीचे लिखा मंत्र बोलते हुए मंदिर में प्रवेश करें।) ॐ ह्रीं हुं हुं णिसिहि स्वाहा। नि:संगोहं जिनानां,…