18. संज्ञीमार्गणा
संज्ञीमार्गणा अठारहवाँ अधिकार संज्ञि मार्गणा का स्वरूप णोइंदियआवरणखओवसमं तज्जबोहणं सण्णा। सा जस्स सो दु सण्णी, इदरो सेिंसदिअवबोहो।।१५९।। नोइन्द्रियावरणक्षयोपशमस्तज्जबोधनं संज्ञा। सा यस्य स तु संज्ञी इतर: शेषेन्द्रियावबोध:।।१५९।। अर्थ — नोइन्द्रियावरण कर्म के क्षयोपशम को या तज्जन्य ज्ञान को संज्ञा कहते हैं। यह संज्ञा जिसके हो उसको संज्ञी कहते हैं और जिनके यह संज्ञा न हो किन्तु…