नवमीं अध्याय का भजन
नवमीं अध्याय का भजन हे वीतराग सर्वज्ञ देव! तुम हित उपदेशी कहलाते। तव गुणमणि की उपलब्धि हेतु, हम भी प्रभु तेरे गुण गाते।।टेक.।। संवर एवं निर्जरा तत्त्व, नवमी अध्याय में वर्णित हैं। तत्त्वार्थसूत्र में उमास्वामि के, द्वारा ये उपदेशित हैं।। आस्रव निरोध संवर व निर्जरा, फल दे कर्म जो खिर जाते। तव गुणमणि की उपलब्धि…