10. हिमवान आदि पर्वतों के सरोवरों में कमलों में जिनमंदिर
हिमवान आदि पर्वतों के सरोवरों में सहस्रमायत: पद्मस्तदर्धमपि विस्तृत:। योजनानि दशागाढे हिमवन्मूर्धनि ह्रद:।।८३।। महापद्मोऽथ तिगिंच्छ: केसरी च महानपि। पुण्डरीको ह्रदश्चाथ गिरिषु द्विगुणा: क्रमात्।।८४।। योजनोच्छ्रयविष्कम्भं सलिलादर्धमुद्गतम्। गव्यूतिर्किणकं पद्मं तत्र श्री रत्नवेश्मनि।।८५।। चत्वारिंशच्छतं चैव सहस्राणामुदाहृतम्। शतं पञ्च दशाग्रं च परिवार: श्रीगृहस्य स:।।८६।। ह्रीर्धृति: कीर्तिबुद्धी च लक्ष्मीश्चैव ह्रदालया:। शक्रस्य दक्षिणा देव्य ईशानस्योत्तरा स्मृता:।।८७।। हिमवान आदि पर्वतों के सरोवरों…