उत्तम शौच धर्म का भजन
उत्तम शौच धर्म का भजन तर्ज-जिस गली में………. जिस गती में न उत्तम धरम मिल सके, उस गती में मुझे नाथ! जाना नहीं। जिस मती से धरम शौच पल ना सके, उस मती को भी हे नाथ! पाना नहीं।।टेक.।। हीरा सा यह मनुज तन मिला आज है। लोभ में ही गया यदि तो क्या लाभ…