दक्षिणायन-उत्तरायण
दक्षिणायन-उत्तरायण श्रावण कृष्णा प्रतिपदा के दिन जब सूर्य अभ्यंतर मार्ग में रहता है तब दक्षिणायन का प्रांरभ है एवं अंतिम गली में पहुँच कर वापस आना प्रारंभ करने पर उत्तरायण होता है।
दक्षिणायन-उत्तरायण श्रावण कृष्णा प्रतिपदा के दिन जब सूर्य अभ्यंतर मार्ग में रहता है तब दक्षिणायन का प्रांरभ है एवं अंतिम गली में पहुँच कर वापस आना प्रारंभ करने पर उत्तरायण होता है।
एक मुहूर्त और एक मिनट में सूर्य का गमन जब सूर्य प्रथम गली में रहता है, तब एक मुहूर्त में ५२५१-२९/६० योजन गमन करता है। एक गली से दूसरी में जाने से परिधि के बढ़ जाने से गमन क्षेत्र बढ़ जाता है। अंतिम १८४ वीं गली में एक मुहूर्त में ५३०५-१४/६० योजन गमन करता है।…
सूर्य का गमन क्षेत्र सूर्य का गमन क्षेत्र पृथ्वी से ८०० योजन ऊपर जाकर है। १ लाख योजन व्यास वाले इस जम्बूद्वीप के भीतर १८० योजन एवं लवण समुद्र में ३३०-४८/६१ योजन, ऐसा ५१०-३८/६१ योजन प्रमाण गमन क्षेत्र है। इतने प्रमाण गमन क्षेत्र में १८४ गलियाँ हैं। इन गलियोें में दो-दो सूर्य क्रमश: एक-एक गली…
१ चंद्र का परिवार इन ज्योतिषी देवों में चंद्रमा इंद्र है तथा सूर्य प्रतीन्द्र है। अत: एक चंद्र के सूर्य प्रतीन्द्र, ८८ ग्रह, २८ नक्षत्र ६६९७५ कोड़ा-कोड़ी तारे हैं ऐसे परिवार से सहित जम्बूद्वीप में दो चंद्र हैं। सूर्य और चंद्र के ४-४ प्रमुख देवियाँ हैं और प्रत्येक देवी की ४ आश्रित ४-४ हजार देवियाँ…
देवों की आयु चन्द्रमा की उत्कृष्ट आयु·१पल्य १ लाख वर्ष सूर्य की उत्कृष्ट आयु·१ पल्य १ हजार वर्ष शुक्र की उत्कृष्ट आयु·१ पल्य १०० वर्ष बृहस्पति की उत्कृष्ट आयु·१ पल्य की बुध, मंगल आदि की आयु·१/२ पल्य की ताराओं की उत्कृष्ट आयु·१/४ पल्य की ज्योतिष्क देवांगनाओं की आयु अपने-अपने पति की आयु के अर्ध प्रमाण…
सूर्य आदि के बिम्ब में स्थित जिनमंदिर, प्रासाद आदि सभी विमानों के ऊपर चारों तरफ तट वेदी उपवन खंड हैं एवं मध्य में जिनभवन हैं। चारों तरफ देवों के प्रमुख प्रासाद हैं। राजांगण के बाहर विविध प्रकार के उत्तम रत्नों से रचित परिवार देवों के भवन हैंं।
शीत-उष्ण किरणें पृथ्वी के परिणाम रूप चमकीली धातु से सूर्य का विमान बना हुआ है, जो कि अकृत्रिम है। इस बिम्ब में स्थित पृथ्वीकायिक जीवों के आतप नाम कर्म का उदय होने से उसकी किरणें चमकती हैं सूर्य बिम्ब में मूल में उष्णता नहीं है। उसी प्रकार से चंद्र, तारे आदि के बिम्ब में रहने…
ज्योतिष्क देवों के वाहन देव इन सूर्य, चंद्र के विमानों को अभियोग्य जाति के देव पूर्वादि दिशा में सिंह, हाथी, बैल और घोड़े के आकार को धरकर चार-चार हजार ऐसे १६००० देव खींचते रहते हैं इसी प्रकार से ग्रहों के ८०००, नक्षत्रों के ४०००, ताराओं के २००० देव वाहन जाति के हैं। गमन में चंद्रमा…
सूर्य आदि के विमानों का प्रमाण सूर्य का विमान ४८/६१ योजन, चंद्र का ५६/६१ योजन, शुक्र का १ कोस ताराओं के सबसे छोटे विमान १/४ योजन मात्र का है। इन सभी विमानों की मोटाई अपने विस्तार से आधी है। चंद्र विमान के नीचे ४ प्रमाणांगुल जाकर राहु के विमान एवं सूर्य के नीचे केतु के…