महापुराण प्रवचन-४
महापुराण प्रवचन महापुराण प्रवचन श्रीमते सकलज्ञान, साम्राज्य पदमीयुषे। धर्मचक्रभृते भत्र्रे, नम: संसारभीमुषे।। भगवान ऋषभदेव के पूर्व भवों में दशावतारों के मध्य राजा महाबल के प्रथम अवतार में राजा के जन्मदिवस अवसर पर चारों मंत्री-अपने-अपने मतों का प्रदर्शन कर रहे थे। उसमें तीसरे मंत्री संभिन्नमति ने कहा कि सारा जगत इन्द्रजाल के सदृश है इसके बाद…