तृतीय काल
तृतीय काल इसके बाद सुषम दुष्षमा काल के प्रारंभ में मनुष्यों की आयु एक पूर्व कोटि वर्ष प्रमाण होती है। उस समय उन मनुष्यों की ऊँचाई पाँच सौ धनुष प्रमाण होती है, पुन: क्रम से उत्तरोत्तर आयु और ऊँचाई प्रत्येक काल के बल से बढ़ती ही जाती है। इस समय यह पृथ्वी जघन्य भोग भूमि…