द्वितीय काल का वर्णन
द्वितीय काल का वर्णन इस द्वितीयकाल में मध्यम भोग भूमि की व्यवस्था होती है यहाँ के मनुष्यों की आयु दो पल्य और शरीर की अवगाहना दो कोस रहती है शरीर का वर्ण चंद्रमा के सदृश धवल रहता है। इनके पृष्ठ भाग की हड्डियाँ एक सौ अट्ठाईस रहती हैं उत्तम संस्थान एवं संहनन से युक्त ये…