07. नव पदार्थ
नव पदार्थ श्री गौतमस्वामी विरचित पाक्षिक प्रतिक्रमण में— ‘से अभिमद जीवाजीव-उवलद्धपुण्णपाव-आसवसंवरणिज्जर-बंधमोक्खमहिकुसले।।। क्रियाकलाप पृ. १०७, मुनिचर्या पृ. २९२। जीव अजीव पुण्य पाप आस्रव संवर निर्जरा बंध मोक्ष। ये क्रम है। यही क्रम षट्खण्डागम धवला टीका पुस्तक १३ में है। ‘‘जीवाजीव- पुण्ण-पाव-आसव-संवर-णिज्जरा-बंध-मोक्खेहि।णवहिं पयत्थेहि वदिरित्तमण्णं ण किं पि अत्थि, अणुवलंभादो।। षट्खण्डागम (धवला) पृ. १३, पृ. ६४।’ अर्थात् जीव,…