01. मंगलाचरण ( जिनागम में द्वादशतप )
मंगलाचरण णमो अरिहंताणं णमो सिद्धाणं णमो आइरियाणं। णमो उवज्झायाणं, णमो लोए सव्वसाहूणं।।१।। बहिरन्तस्तपांसि ये, कुर्वन्तो ध्यान बन्हिना। कर्मेन्धनानि संदह्य, सिद्धास्तान् नौमि तान्यपि।।१।। अर्थ – जिन्होंने बहिरंग और अन्तरंग ऐसे बारह तपों को करते हुए ध्यानरूपी अग्नि के द्वारा कर्मरूपी ईंधन को जलाकर सिद्धपद प्राप्त कर लिया है, उन सिद्ध भगवन्तों को एवं उन बारह तपों…