09. साधुसमाधि भावना
साधुसमाधि भावना मुनिगणात्तप: संधारणं भाण्डागाराग्निप्रशमनवत्।।८।। जिस प्रकार से भाण्डागार में अग्नि लग जाने पर उसको बुझाया ही जाता है चूँकि वह भाण्डागार बहुत ही उपकारी है। उसी प्रकार से अनेक व्रत शील से संपन्न मुनिगणों के तप में किसी निमित्त से विघ्न के उपस्थित हो जाने पर उसे दूरकर उन्हें उसी तप में संधारण करना…