10. जंबूस्वामी के पूर्वभव एवं वैराग्य के दृश्य
जंबूस्वामी के पूर्वभव एवं वैराग्य के दृश्य
जंबूस्वामी के पूर्वभव एवं वैराग्य के दृश्य
चौबीस तीर्थंकरों की पंचकल्याणक तिथियाँ का चार्ट
सम्मेदशिखर टोंक से मुक्ति प्राप्त मुनियों की संख्या का चार्ट
चौदह गुणस्थान बीस प्ररूपणाओं द्वारा अथवा बीस प्रकरणों का आश्रय लेकर यहाँ जीवद्रव्य का प्ररूपण किया जाता है। ‘‘जीवट्ठाण’’ नामक सिद्धांतशास्त्र में अशुद्ध जीव के १४ गुणस्थान, १४ मार्गणा और १४ जीवसमास स्थानों का जो वर्णन है वही इसका आधार है। संक्षेप रुचि वाले शिष्यों की अपेक्षा से बीस प्ररूपणाओं का गुणस्थान और मार्गणा इन…
गणधरवलय मंत्र स्तुति प्रस्तुति – गणिनीप्रमुख श्री ज्ञानमती माताजी (हिन्दी पद्य) (चौबोल छंद) पद्य – १ ‘‘णमो जिणाणं’’ घातिकर्मजित, ‘‘जिन को ’’ नमस्कार होवे। सर्व कर्मजित सब सिद्धों को, नमस्कार भी नित होवे।। कहें ‘‘देशजिन’’ सूरि पाठक, साधूगण इंद्रियविजयी। रत्नत्रय से भूषित नित ये, इन सबको भी नमूं सही।।१।। पद्य – २ ‘‘ओहिजिणाणं णमो‘‘ सदा…
#सज्जाति #, सद्गृहस्थता (श्रावक के व्रत),
# पारिव्राज्य (मुनियों के व्रत) # सुरेन्द्रपद
# साम्राज्य (चक्रवर्ती पद) # अरहंत पद
# निर्वाण पद
ये सात परम स्थान कहलाते हैं। सम्यग्दृष्टि जीव क्रम-क्रम से इन परम स्थानों को प्राप्त कर लेता है।
इन्हें कर्तृन्वय क्रिया भी कहते हैं।
श्रुतपंचमी पर्व- ज्येष्ठ शुक्ला पंचमी को आता है इसदिन आचार्य पुष्पदंत-भूतबली महाराज जी द्वारा षट्खंडागम ग्रन्थराज को पूर्ण किया था और देवों ने ग्रन्थराज की विशेष पूजा की थी, तभी से श्रुतपंचमी पर्व पर विशेष पूजा करने की परम्परा चली आ रहि है
श्रवणबेलगोला तीर्थ कर्नाटक प्रान्त में स्थित है यहाँ भगवान बाहुबली स्वामी की 57 फीट की प्रतिमा विराजमान है इस मूर्ति का निर्माण चामुण्डराय ने करवाया था
इस मूर्ति का सौन्दर्य अपने आप में विशेष है |
कहाँ जाता है -सर्वाधिक तीव्र गति मन अर्थात् चित्त की होती है ,संसार में फसाहुआ मनुष्य निरंतरमन से न जाने कितने संकल्प-विकल्प किया करता है ,एवं उस जन्य ही पुण्य एवं पाप कर्मों का उपार्जन किया करता है |
आगम ग्रन्थों का स्वाध्याय ही इस मन की स्व्च्छन्द गति को रोकने का एक मात्र उपाय हैं |