02. दर्शनविशुद्धि भावना पूजा
(पूजा नं.-2) दर्शनविशुद्धि भावना पूजा -स्थापना (अडिल्ल छंद)- सोलहकारण में है पहली भावना। करना है दर्शनविशुद्धि की कामना।। आत्मा में सम्यक्त्व विशुद्धि बढ़ाइये। आह्वानन कर पुष्पांजलि चढ़ाइये।।१।। ॐ ह्रीं दर्शनविशुद्धिभावना! अत्र अवतर अवतर संवौषट् आह्वाननं। ॐ ह्रीं दर्शनविशुद्धिभावना! अत्र तिष्ठ तिष्ठ ठ: ठ: स्थापनं। …