तत्त्व और पदार्थ हैं जीव अजीव इन्हीं दो के, सब भेद विशेष कहे जाते। वे आस्रव बंध तथा संवर, निर्जरा मोक्ष हैं कहलाते।। ये सात तत्त्व हो जाते हैं, इनमें जब मिलते पुण्य-पाप। तब नव पदार्थ होते इनको, संक्षेप विधी से कहूँ आज।।२८।। जीव और अजीव का वर्णन किया गया है। इन दो के ही…
भवनवासी स्तनित कुमार एवं विद्युत्कुमार देव (गणिनी आर्यिकारत्न श्री ज्ञानमती माताजी से क्षुल्लक मोतीसागर जी की एक वार्ता) क्षुल्लक मोतीसागर – वंदामि माताजी! श्री ज्ञानमती माताजी – बोधिलाभोऽस्तु! क्षुल्लक मोतीसागर – माताजी! आज मैं आपसे भवनवासियों के दो भेद स्तनित कुमार एवं विद्युत्कुमार देवों के विषय में जानकारी चाहता हूँ। श्री ज्ञानमती माताजी – पूछो!…
राम -सीता द्वारा आहार दान आकाश मार्ग से आते हुए सुगुप्ति और गुप्ति नामक दो मुनिराजों का पड़गाहन करके श्रीरामचन्द्र सीता के साथ भक्तिपूर्वक आहार दान दे रहे हैं, सामने वृक्ष पर बैठा एक गिद्ध पक्षी एकटक देख रहा है। उस आहारदान के समय देवतागण आकाश से रत्नवृष्टि करने लगे, दुंदुभि बाजे बजने लगे। इधर…
व्यवहार-निश्चय मोक्षमार्ग सम्यग्दर्शन औ ज्ञान चरित, ये मुक्ती के कारण जानो। व्यवहारनयापेक्षा कहना, तीनों के लक्षण पहचानो।। इन रत्नत्रयमय निज आत्मा, निश्चयनय से शिव का कारण। इन उभय नयों के समझे बिन, नहिं होता शिवपथ का साधन।।३९।। सम्यग्दर्शन, सम्यग्ज्ञान और सम्यक्चारित्र ये व्यवहारनय से मोक्ष के कारण हैं और निश्चयनय से इन रत्नत्रय से परिणत…
ध्यान के भेद किसी एक विषय में चित्त को रोकना ध्यान है, इसके चार भेद हैं। आर्तध्यान, रौद्रध्यान, धर्मध्यान और शुक्लध्यान। आर्तध्यान–दु:ख में होने वाले ध्यान को आर्तध्यान कहते हैं। इसके चार भेद हैं- (१) इष्ट का वियोग हो जाने पर बार-बार उसका चिंतवन करना इष्ट वियोगज आर्तध्यान है। (२) अनिष्ट का संयोग हो…
ज्ञानामृत सुदं में आउस्संतो ‘‘पढमं ताव सुदं में आउस्संतो।’’ हे आयुष्मन्तों भव्यों ! मैंने प्रथम ही सुना है। क्या सुना है ? ‘‘ गिहत्थधम्मं’’ गृहस्थ धर्म सुना है। किनसे सुना है ? ‘‘ भयवदा महदिमहावीरेण’’ भगवान् महति महावीर के श्रीमुख से सुना है। वे भगवान् महावीर वैâसे हैं ? ‘‘समणेण महाकस्सवेण सवण्हाणेण सव्वलोयदरसिण।’’ जो श्रमण…